डायल-अप कनेक्शन क्या है काम कैसे करता है (Dial-Up Connection In Hindi)

Dial-Up Connection In Hindi: हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग Techshole के एक नए आर्टिकल में जिसमें हम आपको Dial-Up Connection Kya Hai, डायल-अप कनेक्शन काम कैसे करता है, डायल-अप कनेक्शन का इतिहास, डायल-अप और ब्रॉडबैंड में अंतर तथा डायल-अप कनेक्शन के फायदे और नुकसानों के बारे में जानकारी देने वाले हैं.

आपके बता दें डायल-अप कनेक्शन इंटरनेट एक्सेस करने का एक माध्यम है जिसका इस्तेमाल आज के समय में बहुत कम ही देखने को मिलता है, इस कनेक्शन में इंटरनेट की सेवाओं का लाभ उठाने के लिए घरेलु टेलीफोन लाइन्स की आवश्यकता होती है. 90 के दशक में डायल – अप इंटरनेट एक्सेस करने का एक लोकप्रिय तरीका था.

हालांकि आज के समय में डायल-अप कनेक्शन का उपयोग कम हो जाने से लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है इसलिए लोग इंटरनेट पर सर्च करते रहते हैं डायल-अप कनेक्शन क्या है या डायल-अप कनेक्टिविटी क्या है आदि. आप इस लेख को अंत तक पढ़ें, हमें पूरा भरोसा है कि इस लेख को पढने के बाद आपको डायल-अप कनेक्शन के बारे में पढने के लिए किसी अन्य ब्लॉग पर नहीं जाना पड़ेगा.

तो चलिए आपका अधिक समय लिए बिना शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं डायल –अप कनेक्शन क्या है. 

डायल-अप कनेक्शन क्या है काम कैसे करता है (Dial-Up Connection In Hindi)

डायल-अप कनेक्शन क्या है (Dial-Up Connection in Hindi)

Dial-Up कनेक्शन एक प्रकार का इंटरनेट कनेक्शन है जिसमें मानक फोन लाइन सेवा का उपयोग करते हुए कंप्यूटर या स्मार्टफोन को इंटरनेट से कनेक्ट किया जाता है.  डायल-अप कनेक्शन का इस्तेमाल आमतौर पर ऐसे स्थानों पर किया जाता है जहाँ हाई स्पीड इंटरनेट की सेवा उपलब्ध नहीं है लेकिन टेलीफोन की सेवा उपलब्ध है. Dial-Up कनेक्शन को एक एनालॉग मॉडेम के द्वारा इनस्टॉल किया जाता है, मॉडेम यूजर के कंप्यूटर को मानक फोन लाइनों से जोड़ता है.

डायल-अप कनेक्शन की स्पीड बहुत धीमी होती है, यह केवल 56 Kbps की स्पीड से डेटा ट्रान्सफर कर सकते हैं. ब्रॉडबैंड और वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन के कारण आज के समय में डायल-अप कनेक्शन का उपयोग बहुत कम ही किया जाता है.

डायल-अप कनेक्शन काम कैसे करता है

जब कोई यूजर डायल-अप कनेक्शन शुरू करता है तो सबसे पहले उसे अपने कंप्यूटर को घर में उपलब्ध टेलीफोन लाइन से कनेक्ट करना होता है और फिर IPS (Internet Service Provider) से कनेक्ट होने के लिए एक विशिष्ट फोन नंबर डायल करना होता है.

जैसे ही आप नंबर डायल करते हैं तो आपका मोबाइल फोन अपने करीबी टावर जो भी इसे इसे सर्विस प्रोवाइड की गयी है यह उससे जुड़ जाता है और टावर को Request भेजता है, अगर टावर के पास सर्वर उपलब्ध होता है तो वह यूजर की Request को लेता है नहीं तो उसी लाइन में दुसरे टावर को Request फॉरवर्ड कर देता है, और इस प्रकार से Request आगे बढती जाती है और तक तक बढती है जब तक कि सर्वर उपलब्ध नहीं हो जाता है.

जब टावर के पास Server available होता है तो वह यूजर की Request को सर्वर के पास भेज देता है और सर्वर फोन कॉल Receive करके कॉल को Identify करता है, उस समय यूजर को एक Beep सुनाई देती है, यहाँ पर एक डायल-अप कनेक्शन स्थापित हो जाता है.

जब डायल-अप कनेक्शन बन जाता है तो सर्वर और फोन लाइन के बीच प्रोटोकॉल तय होते हैं और यूजर का फोन सर्वर से कनेक्ट हो जाता है, सर्वर आमतौर पर Internet Service Provider के मॉडेम होते हैं. सर्वर से डेटा यूजर के फोन लाइन तक पहुँचता है और फिर यूजर उस डेटा को अपने कंप्यूटर में एक्सेस कर सकता है.

डायल-अप कनेक्शन को स्थापित होने में आमतौर पर 10 सेकंड का समय लगता है. डायल-अप कनेक्शन तब तक बना रहता है जब तक कि यूजर IPS से Disconnect नहीं हो जाता. तो इस प्रकार से डायल-अप कनेक्शन के द्वारा इंटरनेट एक्सेस किया जाता है.

डायल-अप कनेक्शन का इतिहास

साल 1979 में ड्यूक विश्वविद्यालय के graduates Tom Truscott और Jim Elli ने USENET नामक एक डायल-अप कनेक्शन बनाया था. USENET एक Unix आधारित प्रणाली थी जो टेलीफोन मॉडेम के माध्यम से डेटा ट्रान्सफर करने के लिए डायल –अप कनेक्शन का इस्तेमाल करती थी.

1980 के दशक से डायल –अप कनेक्शन सार्वजनिक प्रदाताओं जैसे NSFNET-linked विश्वविद्यालयों के माध्यम से है. डायल-अप कनेक्शन को पहली बार सार्वजनिक रूप से 1992 में Pipex के द्वारा ब्रिटेन में तथा Sprint के द्वारा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में पेश किया गया था. 1990 के दशक में डायल –अप कनेक्शन का इस्तेमाल बहुत अधिक किया जाता था, उस समय यह दो कंप्यूटरों के बीच डेटा ट्रान्सफर करने के लिए एक लोकप्रिय माध्यम था.

लेकिन 2000 के दशक में ब्रॉडबैंड जैसे कनेक्शन आने से डायल-अप कनेक्शन की लोकप्रिय में गिरावट आने लगी. आज के समय में डायल – अप कनेक्शन का इस्तेमाल बहुत कम ही देखने को मिलता है. अधिकांश ऐसे स्थानों में जहाँ अभी तक ब्रॉडबैंड की सेवा नहीं पहुँच पाई है वहाँ डायल –अप कनेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है.

डायल-अप का ब्रॉडबैंड से प्रतिस्थापन

एक समय में डायल-अप कनेक्शन इंटरनेट एक्सेस करने के लिए एक सबसे अच्छा माध्यम था लेकिन इसमें अनेक सारी कमियां भी थी, इसलिए टेक्नोलॉजी के बढ़ने के साथ डायल-अप कनेक्शन का प्रतिस्थापन ब्रॉडबैंड कनेक्शन से कर दिया गया. यूजर डिजिटल सब्सक्राइब लाइन, केबल, Satellite, वायरलेस आदि माध्यमों से ब्रॉडबैंड कनेक्शन का इस्तेमाल करके इंटरनेट एक्सेस कर सकता है.

एक ओर जहाँ डायल-अप कनेक्शन में यूजर इंटरनेट एक्सेस करते समय फोन पर बात नहीं कर सकता था वहीँ ब्रॉडबैंड कनेक्शन आने से यूजर आसानी से फोन पर बात भी कर सकता है और इंटरनेट भी एक्सेस कर सकता है. डायल-अप कनेक्शन की तुलना में ब्रॉडबैंड की स्पीड बहुत अधिक होती है, यूजर कुछ ही सेकंड में बड़ी से बड़ी साइज़ की फाइलों को डाउनलोड कर सकते हैं.

डायल-अप और ब्रॉडबैंड कनेक्शन में अंतर

डायल-अप कनेक्शन और ब्रॉडबैंड दोनों का इस्तेमाल इंटरनेट एक्सेस करने के लिए किया जाता है, लेकिन ये दोनों कनेक्शन एक – दुसरे से बिल्कुल विपरीत हैं. डायल-अप कनेक्शन और ब्रॉडबैंड के बीच कुछ अंतर निम्नलिखित हैं –

डायल-अप कनेक्शनब्रॉडबैंड
डायल-अप कनेक्शन इंटरनेट सेवा प्रदाता (IPS) से जुड़ने के लिए एक फोन लाइन का उपयोग करती है और IPS के सर्वर मॉडेम के माध्यम से इंटरनेट से जुड़ती है.ब्रॉडबैंड सर्विस यूजर के IPS द्वारा Provide मॉडेम के माध्यम से इंटरनेट तक पहुंचती हैं.
डायल-अप की स्पीड बहुत धीमी है यह 56 Kbps की स्पीड से इंटरनेट एक्सेस करने की सुविधा देती है.ब्रॉडबैंड की स्पीड डायल-अप कनेक्शन की तुलना में बहुत अधिक होती है. IPS के आधार पर ब्रॉडबैंड की स्पीड 100  Mbps या इससे भी अधिक हो सकती है.
डायल-अप कनेक्शन में यूजर इंटरनेट एक्सेस करते समय फोन पर बात नहीं कर सकते हैं.ब्रॉडबैंड कनेक्शन में यूजर इंटरनेट एक्सेस करते समय बिना किसी समस्या के फोन पर बात भी कर सकते हैं.
डायल-अप कनेक्शन का इस्तेमाल इंटरनेट से बड़ी फाइलों को डाउनलोड या अपलोड करने के लिए नहीं किया जा सकता है.ब्रॉडबैंड कनेक्शन में आप बड़ी से बड़ी साइज़ की फाइल को इंटरनेट से डाउनलोड और अपलोड कर सकते हैं.
डायल-अप कनेक्शन का इस्तेमाल अब बहुत कम मात्रा में किया जाता है.ब्रॉडबैंड कनेक्शन का इस्तेमाल व्यापक रूप से किया जाता है.
डायल-अप और ब्रॉडबैंड कनेक्शन में अंतर

डायल-अप कनेक्शन के फायदे (Advantage of Dial-Up Connection)

डायल-अप कनेक्शन के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं –

  • डायल-अप कनेक्शन से उन स्थानों में भी इंटरनेट की सुविधा प्रदान की जा सकती है जहाँ पर इंटरनेट मौजूद नहीं है.
  • डायल-अप कनेक्शन अन्य प्रकार के इंटरनेट कनेक्शन की तुलना में कम महंगा है.
  • डायल-अप कनेक्शन के लिए यूजर को घर में अतिरिक्त कनेक्शन जोड़ने की आवश्यकता नहीं होती है.
  • अधिकांश कंप्यूटरों में पहले से ही मॉडेम मौजूद होता है इसलिए आमतौर पर डायल – अप कनेक्शन को बनाने के लिए किसी अतिरिक्त हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं होती है.

डायल-अप कनेक्शन के नुकसान (Disadvantage of Dial-Up Connection)

डायल – अप कनेक्शन में अनेक सारी कमियां थी, इसलिए इसे ब्रॉडबैंड और वायरलेस कनेक्शन से प्रतिस्थापित कर दिया गया है. ब्रॉडबैंड के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं –

  • जब आप डायल-अप कनेक्शन बना लेते हैं तो आप फोन कॉल नहीं कर सकते हैं तथा कॉल Receive भी नहीं कर सकते.
  • डायल-अप कनेक्शन की स्पीड बहुत कम होती है.
  • डायल-उप कनेक्शन उन यूजर के लिए उपयुक्त नहीं है जो मल्टीमीडिया या उच्च बैंडविड्थ एप्लीकेशन के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं.
  • एक समय में केवल एक कंप्यूटर फोन लाइन का उपयोग कर सकता है.
  • आधुनिक वेब एप्लीकेशन का उपयोग करने के लिए डायल-अप कनेक्शन पर्याप्त नहीं है.

FAQ: Dial-Up Connection In Hindi

डायल-अप कनेक्टिविटी क्या है?

डायल-अप कनेक्टिविटी या कनेक्शन एक प्रकार का इंटरनेट कनेक्शन है जिसमें यूजर मानक टेलीफोन लाइनों के द्वारा इंटरनेट एक्सेस कर सकता है.

डायल-अप कनेक्शन की स्पीड कितनी होती है?

सामान्य तौर पर डायल-अप कनेक्शन की स्पीड 56Kbps तक होती है.

क्या डायल-अप कनेक्शन का उपयोग आज भी किया जाता है?

वैसे आज के समय में डायल-अप कनेक्शन का उपयोग बहुत दुर्लभ है लेकिन ऐसे स्थानों पर जहाँ ब्रॉडबैंड के द्वारा इंटरनेट की सेवाएं देना मुश्किल है लेकिन वहाँ पर टेलीफोन की सेवाएँ उपलब्ध हैं तो ऐसे स्थानों पर डायल- अप कनेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है.

इन्हें भी पढ़े

निष्कर्ष: डायल-अप कनेक्शन क्या है हिंदी में

आज के इस लेख में हमने आपको Dial-Up Connection Kya Hai In Hindi और यह कैसे काम करता है की पूरी जानकारी बहुत ही आसान शब्दों में बताई है, तथा साथ ही डायल-अप कनेक्शन का इतिहास तथा फायदे और नुकसानों के बारे में भी बताया है.

हमें पूरी उम्मीद है कि इस लेख को अंत तक पढने के बाद आप डायल-अप कनेक्शन को अच्छी प्रकार से समझ गए होंगें, यदि अभी भी आपके मन में डायल –अप कनेक्शन को लेकर कोई संदेह हैं तो हमें निसंकोच कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं. अगर आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसंद आई तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

Techshole इंडिया की Best हिंदी ब्लॉग में से एक बनने की दिशा में अग्रसर है. यहाँ इस ब्लॉग पर हम Blogging, Computer, Tech, इंटरनेट और पैसे कमाए से सम्बन्धित लेख साझा करते है.

Leave a Comment