Firewall क्या है प्रकार, कैसे काम करता है (Types of Firewall in Hindi)

Firewall Kya Hai In Hindi: अगर आप अपने कंप्यूटर या मोबाइल में इन्टरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपको Firewall क्या है के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए, क्योंकि बिना फ़ायरवॉल के आपका कंप्यूटर सुरक्षित नहीं है. फ़ायरवॉल एक सुरक्षा की दीवार होती है जो कंप्यूटर को अनधिकृत पहुँच से दूर रखता है.

आज के इस लेख में हम आपको फ़ायरवॉल से जुडी सभी जानकारी देने वाले हैं. इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि फ़ायरवॉल क्या है, फ़ायरवॉल काम कैसे करता है, फ़ायरवॉल का इतिहास, फ़ायरवॉल के प्रकार, फ़ायरवॉल की विशेषताएं तथा फ़ायरवॉल के फायदे नुकसान क्या हैं.

अगर आप भी फ़ायरवॉल के बारे में उपरोक्त सभी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरुर पढ़ें. हमें पूरा भरोसा है कि इस लेख को पढने के बाद आपके मन में फ़ायरवॉल से सम्बंधित कोई भी प्रशन शेष नहीं रहेंगे.

तो चलिए बिना समय बरबाद किये आते हैं अपने लेख पर और जानते हैं Firewall क्या है विस्तार से हिंदी में.

Firewall क्या है इसके प्रकार और कैसे काम करता है (Types of Firewall in Hindi)

फ़ायरवॉल क्या है (What is Firewall in Hindi)

फ़ायरवॉल कंप्यूटर को वायरस से सुरक्षित रखने का एक सिक्योरिटी सिस्टम है, यह कंप्यूटर को सभी प्रकार के वायरस, मालवेयर से बचाता है. जब कंप्यूटर किसी भी नेटवर्क से जुड़ता है तो कंप्यूटर में वायरस आने की संभावना रहती है, इस स्थिति में फ़ायरवॉल का होना बहुत महत्वपूर्ण होता है.

फ़ायरवॉल नेटवर्क के गेटवे पर लगा होता है, यह नेटवर्क में अन्दर तथा बाहर जाने वाले ट्रैफिक को फ़िल्टर करता है और कोई संदिग्ध गतिविधि पाए जाने पर उसे ब्लॉक करता है. फ़ायरवॉल हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर हो सकता है.

Firewall आपके कंप्यूटर को न सिर्फ वायरस से बचाता है बल्कि अगर आपके कंप्यूटर में कोई वायरस है तो उसे दुसरे कंप्यूटर में जाने से भी रोकता है, इस प्रकार फ़ायरवॉल दोनों तरफ से सुरक्षा प्रदान करता है. इसलिए हर एक कंप्यूटर में फ़ायरवॉल का होना महत्वपूर्ण होता है.

फ़ायरवॉल का इतिहास (History of Firewall in Hindi)

फ़ायरवॉल शब्द का इस्तेमाल फायर यानि कि आग की रोकथाम के लिए किया जाता है. फ़ायरवॉल तकनीक लगभग 1980 में उभरकर सामने आयी. जब इन्टरनेट का इस्तेमाल धीरे – धीरे बढ़ने लगा. फ़ायरवॉल के विकास की प्रक्रिया को 3 पीढ़ी में बांटा जा सकता है.

Packet Filter Firewall – फ़ायरवॉल टेक्नोलॉजी पर पहला पेपर 1988 में प्रकाशित हुआ था, जब Digital Equipment Corporation (DEC) के इंजीनियरों ने फ़िल्टर सिस्टम को डेवलप किया. इसे पैकेट फ़िल्टर फ़ायरवॉल के नाम से जाना जाता है. यह बहुत बेसिक प्रकार के फ़ायरवॉल थे जिसमें टेक्निकल इन्टरनेट के Feature शामिल थे. इन्हें पहली पीढ़ी के फ़ायरवॉल कहा जाता है.

Statefull Firewall – 1990 में AT&T Bell Laboratories के कुछ सहयोगियों ने मिलकर फ़ायरवॉल की दूसरी पीढ़ी का विकास किया. जिन्हें Statefull Firewall के नाम से जाना जाता है. ये फ़ायरवॉल पहली पीढ़ी के फ़ायरवॉल की तरह काम करते हैं लेकिन ये OSI मॉडल की चौथी लेयर तक काम करते हैं.

Application Layer Firewall – Marcus Ranum, Gene Spafford और Bill Cheswick ने 1994 – 95 में एप्लीकेशन फ़ायरवॉल को Develop किया जिन्हें तीसरी पीढ़ी के फ़ायरवॉल के रूप में जाना जाता है. तीसरी पीढ़ी के फ़ायरवॉल का प्रमुख फायदा यह है कि यह कुछ एप्लीकेशन और प्रोटोकॉल को समझ सकता है और अनधिकृत डेटा पैकेट को नेटवर्क में आने से रोक सकता है. यह सबसे उपयोगी फ़ायरवॉल है.

फ़ायरवॉल काम कैसे करता है (How Does Firewall Work in Hindi)

फ़ायरवॉल में पहले से ही नेटवर्क सुरक्षा नियम रहते हैं, जिनके आधार पर फ़ायरवॉल का मुख्य काम रहता है. इन नियमों को नेटवर्क की जरुरत के अनुसार Network Administrator के द्वारा Set किया जाता है.

एक फ़ायरवॉल नेटवर्क में आने वाले डेटा पैकेट को किन पैरामीटर पर फ़िल्टर करेगा यह इसके अन्दर सेट किये गए नियमों पर निर्धारित होता है.

जब कोई डेटा पैकेट नेटवर्क पर आता है तो फ़ायरवॉल गेटवे पर डेटा पैकेट की जांच करता है, अगर डेटा पैकेट फ़ायरवॉल में निर्धारित किये गए नियमों के विपरीत होता है तो फ़ायरवॉल उसे नेटवर्क में अन्दर आने से रोकता है, जिसकी वजह से सिर्फ वही पैकेट नेटवर्क में प्रवेश कर पाता है जो कि सुरक्षित होता है.

इसी प्रकार से जब कोई कंप्यूटर नेटवर्क में कोई डेटा भेजना चाहता है तो फ़ायरवॉल पहले उस डेटा पैकेट की जांच करता है और सुरक्षित डेटा को ही नेटवर्क में भेजता है. इस प्रकार से फ़ायरवॉल एक दीवार के रूप में कार्य करता है. फ़ायरवॉल एक नेटवर्क में Two Way Protection के रूप में कार्य करता है जिससे नेटवर्क से जुड़े डिवाइस को अधिक सुरक्षा मिलती है.

फ़ायरवॉल के प्रकार (Type of Firewall in Hindi)

फ़ायरवॉल मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं –

  • सॉफ्टवेर फ़ायरवॉल
  • हार्डवेयर फ़ायरवॉल
  • प्रॉक्सी फ़ायरवॉल

#1 – सॉफ्टवेयर फ़ायरवॉल (Software Firewall)

यह आपके कंप्यूटर में डाला जाने वाल एक सॉफ्टवेयर होता है, जो कि कंप्यूटर को वायरस से सुरक्षित करता है. जैसे कि एंटीवायरस. Antivirus एक वायरस सुरक्षा प्रणाली है जो कि आपके कंप्यूटर को अनधिकृत पहुँच और हानिकारक वायरस से सुरक्षित रखता है. एंटीवायरस में फ़ायरवॉल सुरक्षा का Feature भी उपलब्ध होता है. नयी पीढ़ी Operating System जैसे Windows में भी फ़ायरवॉल पहले से ही इनबिल्ट रहता है.

अगर आपके डिवाइस में एंटीवायरस उपलब्ध नहीं है तो आप इसे खरीदकर भी इनस्टॉल कर सकते हैं. वैसे कुछ एंटीवायरस फ्री में भी मिल जाते हैं लेकिन बेहतर सुरक्षा के लिए प्रीमियम एंटीवायरस ही बेहतर होते हैं. हालांकि सॉफ्टवेयर फ़ायरवॉल, हार्डवेयर फ़ायरवॉल की तुलना में अधिक सुरक्षित नहीं होते हैं, क्योंकि इन्हें हैक भी किया जा सकता है. 

#2 – हार्डवेयर फ़ायरवॉल (Hardware Firewall)

हार्डवेयर फ़ायरवॉल एक हार्डवेयर डिवाइस होता है, जो Incoming और outgoing ट्रैफिक की जाँच करता है और कोई संदिग्ध गतिविधि पाए जाने पर ब्लॉक करता है. आजकल सभी राऊटर में हार्डवेयर फ़ायरवॉल पहले से ही मौजूद होता है. जितने भी कंप्यूटर एक राऊटर से जुड़े होते हैं उन सभी में फ़ायरवॉल काम करना शुरू कर देता है.

जब कंप्यूटर के द्वारा इन्टरनेट पर कुछ काम किया जाता है तो फ़ायरवॉल कंप्यूटर को वायरस और मैलवेयर से सुरक्षित रखता है. हार्डवेयर फ़ायरवॉल सॉफ्टवेर फ़ायरवॉल की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं. ये नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक डिवाइस को वायरस से बचाते हैं.

#3 – प्रॉक्सी फ़ायरवॉल (Proxy Firewall)

प्रॉक्सी फ़ायरवॉल सबसे सुरक्षित फ़ायरवॉल माने जाते हैं. ये फ़ायरवॉल इन्टरनेट प्रोटोकॉल नेटवर्क से आने वाले ट्रैफिक पर नजर बनाए रखते हैं. प्रॉक्सी फ़ायरवॉल के पास खुद का IP एड्रेस होता है.

जब प्रॉक्सी फ़ायरवॉल को इन्टरनेट रिसोर्स के लिए Request प्राप्त होती है तो पहले यह अपने लोकल कैश में डेटा पैकेट को ढूंढता है, अगर उसे पैकेट अपने लोकल कैश में मिल जाता है तो वह बिना इन्टरनेट को Request भेजे डेटा पैकेट को सीधे यूजर के पास भेज देता है.

लेकिन अगर उसे डेटा पैकेट अपने लोकल कैश में नहीं मिलता है तो वह इन्टरनेट पर सर्वर से डेटा की Request करने के लिए स्वयं की IP का इस्तेमाल करता है, और जब Request प्रॉक्सी सर्वर के पास आ जाती है तो वह डेटा को यूजर के पास भेज देता है.

फ़ायरवॉल के फायदे (Advantage of Firewall in Hindi)

फ़ायरवॉल के कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं –

  • फ़ायरवॉल कंप्यूटर में अन्दर आने वाले तथा बाहर जाने वाले ट्रैफिक पर नजर रखते हैं, और प्रत्येक डेटा पैकेट की जांच करते हैं. यदि उनमें किसी प्रकार की संदिग्ध या खतरनाक जानकारी होती है जो कंप्यूटर को नुकसान पहुंचा सकते हैं तो उसे रोक देते हैं.
  • फ़ायरवॉल Trojan को ब्लॉक करते हैं. ये ऐसे वायरस होते हैं जो कंप्यूटर फाइलों के साथ चिपक जाते हैं और डेस्टिनेशन पर अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. Trojan अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि कंप्यूटर में इनकी उपस्थिति का एहसास तब तक नहीं होता है जब तक कंप्यूटर में कुछ अजीब गतिविधि न होने लगे.
  • फ़ायरवॉल आपके कंप्यूटर को हैकर से बचाते हैं. फ़ायरवॉल हैकर को आपके नेटवर्क तक पहुँचने से रोकते हैं.
  • एक LAN नेटवर्क में विभिन्न रिमोट यूजर को जोड़ा जा सकता है, इसका फायदा उठाकर हैकर रिमोट एक्सेस के द्वारा आके नेटवर्क या कंप्यूटर तक पहुँच सकते हैं. फ़ायरवॉल इन सभी अनधिकृत रिमोट एक्सेस को कंप्यूटर या नेटवर्क में घुसने से रोकता है.  
  • फ़ायरवॉल के द्वारा आप Bandwidth को मैनेज कर सकते हैं. चूँकि हमारे पास Bandwidth अनलिमिटेड मात्रा में नहीं होता है, इसलिए हमारे पास जो Bandwidth उपलब्ध है उस पर नियंत्रण रखना जरुरी है.

फ़ायरवॉल के नुकसान (Disadvantage of Firewall in Hindi)

फ़ायरवॉल के फायदों के साथ कुछ नुकसान भी होते हैं. जिनमें से फ़ायरवॉल के कुछ नुकसान या कमियां निम्नलिखित हैं –

  • हार्डवेयर फ़ायरवॉल की कीमत महँगी होती है क्योंकि ये अधिक सुरक्षित रहते हैं. हार्डवेयर फ़ायरवॉल की सुरक्षा और maintenance भी महंगा होता है.
  • छोटे नेटवर्क या कंपनी के लिए तो फ़ायरवॉल की maintenance आसान है, लेकिन बड़े नेटवर्क या बड़े संस्थाओं में फ़ायरवॉल को maintain करने के लिए एक अलग से कर्मचारियों की जरुरत होती है.
  • कुछ हाईटेक वायरस और मैलवेयर को रोकने की क्षमता फ़ायरवॉल में नहीं होती है. ऐसे वायरस देखने में सुरक्षित लगते हैं पर वह वास्तव में कंप्यूटर के लिए हानिकारक होती है. 
  • सॉफ्टवेर फ़ायरवॉल केवल उसी कंप्यूटर की सुरक्षा करता है जिसमें यह इनस्टॉल होता है.
  • एक बेकार कम्पनी का फ़ायरवॉल आपके कंप्यूटर की Overall Performance को ख़राब कर सकता है.

फ़ायरवॉल से सम्बंधित सामान्य प्रश्न

फ़ायरवॉल क्या है समझाइये?

फ़ायरवॉल एक नेटवर्क सिक्योरिटी सिस्टम है जो कि किसी नेटवर्क में आने वाले वायरस और मैलवेयर को रोकता है.

फ़ायरवॉल कितने प्रकार के होते हैं?

फ़ायरवॉल मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं – सॉफ्टवेर फ़ायरवॉल, हार्डवेयर फ़ायरवॉल और प्रॉक्सी फ़ायरवॉल.

फ़ायरवॉल का मुख्य काम क्या है?

फ़ायरवॉल का मुख्य काम होता है किसी नेटवर्क में आने वाले डेटा पैकेट को फ़िल्टर करना तथा अनधिकृत डेटा पैकेट को नेटवर्क में प्रवेश करने से रोकना.

इन्हें भी पढ़े 

निष्कर्ष: फ़ायरवॉल क्या है हिंदी में

आज के इस लेख में हमने आपको बताया कि Firewall क्या है इन हिंदी, इसके तीन प्रकार कौन से हैं और फ़ायरवॉल से सम्बंधित अन्य जानकारी भी आपके साथ साझा की. फ़ायरवॉल के फायदों के बारे में पढने के बाद आप समझ गए होंगे कि किसी भी नेटवर्क में फ़ायरवॉल कितना महत्वपूर्ण है.

उम्मीद करते हैं आपको हमारे अन्य लेखों की भांति यह लेख भी पसंद आया होगा और इस लेख से आपको कुछ सीखने को जरुर मिला होगा. अंत में आपसे निवेदन करेंगे कि इस जानकारी को अपने अन्य दोस्तों के साथ भी शेयर करें. लेख को अंत तक पढने के लिए धन्यवाद .

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