कंप्यूटर का परिचय पर निबंध, कंप्यूटर का विकास (पीढ़ियां) हिंदी में

Introduction of Computer in Hindi: कंप्यूटर आज के समय में हर एक व्यक्ति, सरकार और कंपनियों के लिए अन्यंत महत्वपूर्ण बन गया है जिसके बिना शायद ही कोई कार्य पूरा हो पाता है. यह एक ऐसी मशीन है जो हर क्षेत्रों में उपयोग की जाती है. कंप्यूटर यूजर के निर्देशों के साथ – साथ स्वचालित कार्य करने वाली डिवाइस है.

आज के इस लेख में हम आपको कंप्यूटर का परिचय के बारे में जानकारी देने वाले हैं और साथ ही आपको कंप्यूटर की पीढ़ियों को समझाकर कंप्यूटर के विकास की प्रक्रिया को भी समझायेंगें. यह लेख हर एक उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो कंप्यूटर सीखना चाहता है क्योंकि अगर आप कंप्यूटर से भली – भांति परिचित नहीं होंगें तो आपको कंप्यूटर सीखने में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

तो चलिए आपका अधिक समय लिए बिना शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं कंप्यूटर का परिचय पर निबंध हिंदी में विस्तार से.

कंप्यूटर का परिचय (Introduction of Computer in Hindi)

कंप्यूटर बिजली से काम करने वाली एक Electronic Device है जो यूजर के द्वारा दिए गए निर्देशों को प्राप्त करके प्रोसेस करता है तथा उनके परिणामों को आउटपुट डिवाइस में दिखाता है. कंप्यूटर कई हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से मिलकर बना होता है. कंप्यूटर को अंग्रेजी भाषा के शब्द Compute से लिया गया है जिसे हिंदी में गणना कहते हैं.

कंप्यूटर का परिचय पर निबंध, कंप्यूटर का विकास (पीढ़ियां) - Introduction of Computer in Hindi

जब कंप्यूटर को शुरुवात में बनाया गया तो इसका मुख्य उद्देश्य गणना करना था, लेकिन आधुनिक कंप्यूटर बहुत एडवांस हैं जो अनेक प्रकार के कार्यों को कुशलतापूर्वक करने में सक्षम हैं. आधुनिक समय में कंप्यूटर का इस्तेमाल डॉक्यूमेंट बनाने, ईमेल भेजने, गाने सुनने, इंटरनेट चलाने जैसे कार्यों में किया जाता है.

कंप्यूटर का हिंदी में मतलब (Computer Meaning in Hindi)

कंप्यूटर का हिंदी में मतलब संगणक, गणक या गणक यंत्र होता है. कंप्यूटर को Compute शब्द से लिया गया है जिसका हिंदी मतलब गणना होता है.

कंप्यूटर का पूरा नाम (Computer Full Form in Hindi)

इन्टरनेट पर कंप्यूटर के अलग – अलग फुल फॉर्म हैं पर कंप्यूटर का सबसे प्रचलित और फेमस फुल फॉर्म Commonly Operated Machine Particularly Used For Technology And Educational Research है.

  • C – Commonly
  • O – Operated
  • M – Machine
  • P – Particularly
  • U – Used For
  • T – Technology
  • E – Educational
  • R – Research

कंप्यूटर के जनक कौन हैं

वैसे कंप्यूटर को बनाने का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं जाता है, समय – समय पर अनेक लोगों ने कंप्यूटर को बनाने में अपना अमूल्य योगदान दिया. कंप्यूटर की शुरुवात 1823 ई. से शुरू हुए थी जब चार्ल्स बैबेज ने गणना करने के लिए एक मशीन बनाई थी, इसलिए चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है.

लेकिन आधुनिक कंप्यूटर बनाने के लिए अनेक वैज्ञानिकों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें से एलन ट्यूरिंग (Alan Turing) का योगदान सबसे अमूल्य था. एलन ट्यूरिंग को आधुनिक कंप्यूटर के जनक कहा जाता है.

कंप्यूटर के भाग (Parts of Computer in Hindi)

कंप्यूटर कई हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से मिलकर बना हुआ एक सिस्टम होता है. जब ये सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर मिलकर काम करते हैं तो इसे ही कंप्यूटर कहा जाता है. अगर इन दोनों भागों में से एक की भी कमी होगी तो हम कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं कर पायेंगें.

(1) हार्डवेयर (Hardware)

कंप्यूटर के वे भौतिक भाग या उपकरण जिन्हें हम देख सकते हैं या छू सकते हैं उन्हें हार्डवेयर कहा जाता है. हार्डवेयर के द्वारा ही हम कंप्यूटर को निर्देश दे सकते हैं. कुछ हार्डवेयर बाहर लगे होते हैं तो कुछ हार्डवेयर कंप्यूटर के अन्दर लगे होते हैं. कंप्यूटर के हार्डवेयर को भी चार भागों में बांटा जाता है.

इनपुट डिवाइस – कंप्यूटर के ऐसे डिवाइस जिनके द्वारा यूजर कंप्यूटर को निर्देश देता है उन्हें इनपुट डिवाइस कहते हैं. बिना इनपुट डिवाइस के आप कंप्यूटर से कोई काम नहीं करवा सकते हैं. कीबोर्ड, माउस, स्कैनर, टच स्क्रीन आदि कंप्यूटर के इनपुट डिवाइस हैं.

आउटपुट डिवाइस – कंप्यूटर के ऐसे डिवाइस जिसमें कंप्यूटर इनपुट प्राप्त करके रिजल्ट को दिखाता है उसे आउटपुट डिवाइस कहते हैं. मॉनिटर, प्रिंटर, प्रोजेक्टर आदि आउटपुट डिवाइस के अंतर्गत आते हैं.

इंटरनल डिवाइस – कंप्यूटर के ऐसे डिवाइस जो कंप्यूटर के अन्दर स्थित होते हैं उन्हें इंटरनल डिवाइस कहते हैं. ये कंप्यूटर के कर कॉम्पोनेन्ट होते हैं जो कंप्यूटर में कई बड़े – बड़े कार्यों को करते हैं. CPU, RAM, ROM, SSD, हार्ड डिस्क, प्रोसेसर आदि कंप्यूटर के इंटरनल डिवाइस हैं.

कम्युनिकेशन डिवाइस – कंप्यूटर के ऐसे डिवाइस जिनकी मदद से दो कंप्यूटर आपस में कम्युनिकेशन कर सकते हैं उन्हें कम्युनिकेशन डिवाइस कहते हैं. राऊटर, मॉडेम, ब्रॉडबैंड आदि कंप्यूटर के कम्युनिकेशन डिवाइस हैं.

(2) सॉफ्टवेयर (Software)

सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के प्रोग्रामों का समूह होता है जिसकी मदद से यूजर कंप्यूटर पर काम कर सकता है. सॉफ्टवेयर भौतिक रूप में नहीं होते हैं और ना ही इन्हें देखा जा सकता है. सॉफ्टवेयर पर यूजर केवल कार्य कर सकता है. कंप्यूटर को संचालित करने का कार्य सॉफ्टवेयर ही करते हैं. सॉफ्टवेयर के बिना कंप्यूटर एक खाली प्लास्टिक का बॉक्स है.

आप हार्डवेयर को कंप्यूटर का शरीर और सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर की आत्मा समझ सकते हैं. कंप्यूटर में अनेक प्रकार के सॉफ्टवेयर होते हैं, जिनके बारे में हमने यहाँ नीचे आपको बताया है.

  • सिस्टम सॉफ्टवेयर – सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को कंट्रोल करते हैं. जब कंप्यूटर को On किया जाता है तो सिस्टम सॉफ्टवेयर हार्डवेयर को एक्टिव करके उनके कार्यों को नियंत्रित करते हैं.
  • ऑपरेटिंग सिस्टमऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का सबसे मुख्य सॉफ्टवेयर होता है जो कंप्यूटर के अन्य सभी सॉफ्टवेयर को संचालित करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना कोई भी कंप्यूटर अपना कार्य ठीक ढंग से नहीं कर पायेगा. Windows, Unix, Linux, एंड्राइड, MacOS आदि ऑपरेटिंग सिस्टम हैं.
  • डिवाइस ड्राइवर – डिवाइस ड्राइवर कंप्यूटर के इनपुट और आउटपुट डिवाइस को आपस में कम्यूनिकेट करवाते हैं. जैसे आप कंप्यूटर को प्रिंट करने का इनपुट देते हैं तो प्रिंटर कॉपी का प्रिंटआउट निकालता है. यह डिवाइस ड्राइवर के द्वारा संभव हो पाता है. ऑडियो प्लेयर, विडियो प्लेयर, मदरबोर्ड ड्राइवर आदि डिवाइस ड्राइवर के उदाहरण हैं.
  • यूटिलिटी सॉफ्टवेयर – कंप्यूटर के ऐसे सॉफ्टवेयर जो पुरे कंप्यूटर को सुरक्षा प्रदान करते हैं उन्हें यूटिलिटी सॉफ्टवेयर कहते हैं. जैसे एंटीवायरस यूटिलिटी सॉफ्टवेयर का उदाहरण हैं.
  • प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर – ऐसे सॉफ्टवेयर जिनके द्वारा एक प्रोग्रामर कंप्यूटर में अन्य सॉफ्टवेयर बनाने के लिए प्रोग्राम लिखते हैं उन्हें प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर कहते हैं. जैसे Text Editor, Complier, Assembler आदि.
  • एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर – ऐसे सॉफ्टवेयर जिनसे यूजर सीधे तौर पर Interact कर पाता है उसे एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहते हैं, इन सॉफ्टवेयर को जरुरत पड़ने पर इंस्टाल या अन इनस्टॉल किया जा सकता है. MS Office, फोटोशॉप, वेब ब्राउज़र आदि.

कंप्यूटर कैसे काम करता है (How Does Computer Work in Hindi)

कंप्यूटर की कार्यप्रणाली में मुख्य रूप से तीन प्रक्रियां होती हैं –

  • इनपुट
  • प्रोसेसिंग
  • आउटपुट

सबसे पहले यूजर इनपुट डिवाइस के द्वारा कंप्यूटर को निर्देश देता है कि उसे किस प्रकार की इनफार्मेशन की जरुरत है. CPU इनपुट प्राप्त करके उसे प्रोसेस करता है और यूजर के द्वारा दिए गए इनपुट के अनुसार रिजल्ट को आउटपुट डिवाइस में दिखाता है. इसमें जो महत्वपूर्ण डेटा होता है CPU उसे हार्ड डिस्क में स्टोर कर लेता है.

कंप्यूटर का विकास – कंप्यूटर की पीढीयाँ

कंप्यूटर के विकास की प्रक्रिया को कंप्यूटर की पीढ़ियों से पता किया जा सकता है. कंप्यूटर की पीढ़ियों को मुख्य रूप से 5 भागों में बांटा जाता है.

कंप्यूटर की पहली पीढ़ी (1940 – 1956)

1940 से लेकर 1956 तक विकसित सभी कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कंप्यूटर के अंतर्गत आते हैं. इन कंप्यूटर का मुख्य इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट वैक्यूम ट्यूब था और मेमोरी के लिए चुंबकीय ड्रम और चुंबकीय टेप का इस्तेमाल किया जाता था. ये कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े होते थे. 1940 से लेकर 63 तक लगभग 100 vacuum tube कंप्यूटर का उत्पादन हुआ. ENIAC, UNIVAC1, IBM 650, IBM 701 आदि पहली पीढ़ी के कंप्यूटर हैं.

पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषतायें

  • इनमें मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक vacuum tube है.
  • मुख्य मेमोरी के लिए चुंबकीय ड्रम और चुंबकीय टेप का इस्तेमाल किया जाता है.
  • इनकी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज Machine Language है.
  • बिजली की बहुत अधिक खपत करते हैं और बहुत गर्मी पैदा करते हैं.
  • इनकी स्पीड बहुत slow थी.
  • आकार में ये कंप्यूटर बहुत बड़े होते हैं.

कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी (1956 – 1963)

1956 से लेकर 1963 तक बने सभी कंप्यूटर दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर कहलाते हैं. इन कंप्यूटरों में vacuum tube के स्थान पर ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया गया और मेमोरी के लिए चुंबकीय कोर और चुंबकीय टेप का इस्तेमाल किया जाता था. पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में इनका आकार छोटा था. IBM 1401, IBM 7090 और 7094, UNIVAC 1107 आदि दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर हैं.

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषतायें

  • इनमें मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक ट्रांजिस्टर होता है.
  • मेमोरी के लिए चुंबकीय कोर और चुंबकीय टेप का इस्तेमाल किया जाता है.
  • इनकी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज Assembly Language है.
  • पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में कम बिजली की खपत करते हैं और कम गर्मी पैदा करते हैं.
  • इनका आकार पहली पीढ़ी की तुलना में छोटा था.
  • इनकी गति में भी सुधार हुआ था.

कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी (1964 – 1971)

1964 से लेकर 1971 तक बने सभी कंप्यूटर तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर कहलाते हैं. इन कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर के स्थान पर integrated circuits (ICs) का इस्तेमाल किया गया और मेमोरी के लिए बड़े बड़ा चुंबकीय कोर और चुंबकीय टेप का इस्तेमाल किया जाता था. पहले दोनों पीढ़ियों की तुलना में ये एडवांस कंप्यूटर थे. IC का इस्तेमाल होने से इनका आकार और छोटा हो गया था. IBM 360, IBM 370, PDP-11, UNIVAC 1108, आदि तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर हैं.

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषतायें

  • इनमें मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक Integrated Circuits (ICs) है.
  • मेमोरी के लिए बड़े चुंबकीय कोर और चुंबकीय टेप डिस्क का इस्तेमाल किया जाता है.
  • इनमें हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (FORTRAN, BASIC, Pascal, COBOL, C, etc.) का इस्तेमाल किया जाता है.
  • दूसरी पीढ़ी की तुलना के कंप्यूटर में ये आकार में और भी छोटे हो गए.
  • इनपुट आउटपुट के लिए कीबोर्ड, मॉनिटर, प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है.

कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी (1971 – 1985)

1971 से लेकर 1985 तक बने सभी कंप्यूटर चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर कहलाते हैं. इस पीढ़ी के कंप्यूटर में integrated circuits (ICs) के स्थान पर माइक्रोप्रोसेसर और VLSI का इस्तेमाल किया गया और मेमोरी के लिए सेमीकंडक्टर मेमोरी जैसे RAM, ROM का इस्तेमाल किया जाने लगा. यह उस समय के सबसे एडवांस कंप्यूटर थे. IBM PC, STAR 1000, Apple II, Apple Macintosh, आदि चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर के उदाहरण हैं.

चौथी पीढी के कंप्यूटर की विशेषतायें

  • इनमें मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक VLSI (very large-scale integration) और माइक्रोप्रोसेसर है. VLSI यानि एक माइक्रो  चिप पर हजारों ट्रांजिस्टर.
  • मेमोरी के लिए RAM और ROM का इस्तेमाल किया जाता है.
  • इसमें उच्च स्तरीय भाषा (Python, C Language, Java, JavaScript, Rust, etc.) का इस्तेमाल किया जाता है.
  • तीसरी पीढ़ी की तुलना में इनका आकार बहुत छोटा है.
  • इनपुट – आउटपुट डिवाइस के रूप में कीबोर्ड, पॉइंटिंग डिवाइस, ऑप्टिकल स्कैनिंग, मॉनिटर, प्रिंटर आदि का इस्तेमाल किया जाता है.

कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी (1985 से लेकर अब तक)

1985 के बाद बने सभी कंप्यूटर पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर के अंतर्गत आते हैं. यह आधुनिक कंप्यूटर हैं जो कि Artificial Intelligence पर आधारित हैं. यह कंप्यूटर ULSI (Ultra Large-Scale Integration) टेक्नोलॉजी पर बनाये गए हैं जिनमें एक माइक्रोप्रोसेसर चिप पर लाखों कॉम्पोनेन्ट built किये गए हैं. डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टफोन आदि पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर हैं.

पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषतायें

  • इनमें मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक ULSI है.
  • यह कंप्यूटर Artificial Intelligence पर आधारित हैं.
  • यह कंप्यूटर Human Language को समझ सकते हैं.
  • यह बहुत कम बिजली की खपत करते हैं.
  • ये कंप्यूटर बहुत कम गर्मी उत्पन्न करते हैं.
  • इनकी स्पीड बहुत फ़ास्ट होती है, ये पलक झपकते ही कार्यों को करने में सक्षम हैं.
  • इनकी स्टोरेज क्षमता बहुत अधिक होती है और ये बड़ी मात्रा में डेटा को स्टोर कर सकते हैं.
  • आकार में यह कंप्यूटर बहुत छोटे होते हैं.

FAQ: Introduction of Computer in Hindi

कंप्यूटर को हिंदी में क्या कहते हैं?

कंप्यूटर को हिंदी में संगणक या गणक यंत्र कहते हैं.

कंप्यूटर की कितनी पीढियां हैं?

कंप्यूटर के विकास के आधार पर कंप्यूटर को पांच पीढियों में वर्गीकृत किया जाता है.

कंप्यूटर के कितने भाग होते हैं?

कंप्यूटर के मुख्य रूप से दो भाग होते हैं हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर. हार्डवेयर कंप्यूटर के भौतिक भाग होते हैं जिन्हें देखा जा सकता है और हाथों से स्पर्श किया जा सकता है. जबकि सॉफ्टवेयर वर्चुअल भाग होते हैं इन्हें ना तो देखा जा सकता है और ना ही स्पर्श किया जा सकता है.

कंप्यूटर का जनक किसे कहा जाता है?

कंप्यूटर का जनक चार्ल्स बैबेज को कहा जाता है.

निष्कर्ष: कंप्यूटर का परिचय और विकास हिदी में

आज के इस ब्लॉग पोस्ट को पढने के बाद आपको कंप्यूटर का परिचय, कंप्यूटर का विकास और कंप्यूटर के भागों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल गयी होगी. इस लेख को पढने के बाद भी अगर आपके मन में कंप्यूटर से जुड़ा कोई डाउट या प्रश्न शेष है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं हम जल्दी ही आपके सवालों का जवाब देने की कोशिस करेंगें. और हां यदि यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित हुए तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

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