नेटवर्क डिवाइस क्या है इसके प्रकार (Networking Device in Hindi)

Networking Device Kya Hai in Hindi: आज मानव इतनी अधिक प्रगति कर चूका है कि वह आसानी से अपने से दूर बैठे व्यक्ति के डिवाइस के साथ कनेक्ट होकर किसी भी प्रकार का डाटा शेयर कर सकता है. किन्हीं भी दो डिवाइस (कंप्यूटर, मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस) को आपस में जोड़ने के लिए जिन डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है वे नेटवर्किंग डिवाइस होती हैं.

पर क्या आप जानते हैं  Networking Device क्या है, नेटवर्किंग डिवाइस कितने प्रकार की होती है और नेटवर्किंग डिवाइस के उपयोग क्या हैं, यदि नहीं तो इस लेख में आपको सभी प्रशनों को जवाब मिलने वाले हैं. क्योंकि हम इस लेख के द्वारा आपके साथ नेटवर्किंग डिवाइस के बारे में पूरी जानकारी साझा करने वाले हैं. इसलिए आप लेख को अंत तक जरुर पढ़ें.

तो चलिए आपका अधिक समय न लेते हुए शुरू करते हैं आज के इस लेख को और सबसे पहले जानते हैं नेटवर्किंग डिवाइस क्या होते हैं.

नेटवर्किंग डिवाइस क्या हैं (What is Networking Device in Hindi)

नेटवर्किंग डिवाइस या नेटवर्क डिवाइस ऐसे हार्डवेयर डिवाइस होते हैं जिनके द्वारा दो से या से अधिक कंप्यूटर को आपस में जोड़कर एक नेटवर्क बनाया जाता है, जिससे वे कंप्यूटर आपस में कम्यूनिकेट कर सकते हैं, और डाटा तथा रिसोर्स को आपस में साझा कर सकते हैं. सीधे शब्दों में कहें तो अनेक कंप्यूटर को आपस में जिन डिवाइस की मदद से जोड़ा जाता है उन्हें नेटवर्किंग डिवाइस कहते हैं.

नेटवर्क डिवाइस क्या है इसके प्रकार (Networking Device in Hindi)

नेटवर्किंग डिवाइस के प्रकार (Types of Networking Device in Hindi)

एक नेटवर्क को बनाने के लिए अनेक प्रकार के नेटवर्किंग डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें से कुछ बहुत प्रमुख नेटवर्क डिवाइस के बारे में हम आपको बताएँगे जो सर्वाधिक प्रयोग किये जाते हैं –

नेटवर्क/नेटवर्किंग डिवाइस निम्नलिखित है –

  1. राऊटर
  2. हब
  3. स्विच
  4. रिपीटर
  5. ब्रिज
  6. मॉडेम
  7. गेटवे
  8. ब्राउटर
  9. केबल

1 – राऊटर (Router)

राऊटर एक ऐसा नेटवर्किंग डिवाइस होता है, जिसका इस्तेमाल नेटवर्क में डाटा पैकेट को ट्रान्सफर करने के लिए किया जाता है. नेटवर्क के बीच डाटा को पैकेट के रूप में भेजा जाता है. राऊटर OSI नेटवर्क मॉडल के तीसरी लेयर पर काम करता है.

जब नेटवर्क में एक डिवाइस से डाटा दुसरे डिवाइस में भेजा जाता है तो सबसे पहले डाटा पैकेट में Convert होकर राऊटर के पास पहुँचता है, फिर राऊटर Routing Protocol और Routing Table का इस्तेमाल करके डाटा को Destination कंप्यूटर के सबसे पास वाले राऊटर के पास पहुंचा देता है, और फिर वह राऊटर डाटा को Destination कंप्यूटर में पहुंचाता है.

2 – हब (Hub)

नेटवर्क हब एक ऐसा नेटवर्किंग डिवाइस है जिसकी मदद से अनेक सारे कंप्यूटर और नेटवर्क डिवाइस को आपस में कनेक्ट किया जाता है. एक हब में अनेक सारे पोर्ट होते हैं जिनके द्वारा ही डिवाइस को आपस में जोड़ा जाता है. हब के इस्तेमाल से नेटवर्क का आकार भी बढ़ाया जा सकता है. हब OSI मॉडल के Physical Layer – 1 पर काम करते हैं. 

नेटवर्क में जब एक कंप्यूटर दुसरे कंप्यूटर को डाटा ट्रान्सफर करता है तो जैसे ही वह डाटा हब के पास पहुँचता है तो हब डाटा को पोर्ट से जुड़े सभी डिवाइस के पास भेज देता है. इसलिए हब को एक Unintelligent डिवाइस माना जाता है क्योंकि वह Destination computer तक डाटा ट्रान्सफर करने में असमर्थ है.

3 – स्विच (Switch)

नेटवर्क स्विच भी हब की तरह एक नेटवर्किंग डिवाइस है जिसका इस्तेमाल नेटवर्क में कई सारे कंप्यूटर या अन्य नेटवर्क डिवाइस को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है. लेकिन स्विच एक बुद्धिमान डिवाइस होती है हब की तुलना में.

नेटवर्क में जब एक कंप्यूटर दुसरे कंप्यूटर को डाटा भेजता है तो वह डाटा के साथ – साथ Destination कंप्यूटर का MAC address भी भेजता है. जब डाटा स्विच के पास पहुँचता है तो स्विच Destination कंप्यूटर के MAC एड्रेस को Check करता है और डाटा को सही डिवाइस के पास पहुंचा देता है. स्विच के पास पहले से ही नेटवर्क से जुड़े सभी डिवाइस का MAC एड्रेस होता है.

स्विच OSI मॉडल के Data Link Layer (DLL) के दुसरे लेयर में काम करते हैं, लेकिन मार्केट में ऐसे स्विच भी मौजूद हैं जो DLL और नेटवर्क लेयर के दूसरी और तीसरी लेयर पर काम करते हैं.

4 – रिपीटर (Repeater)

रिपीटर एक बहुत Powerful नेटवर्किंग डिवाइस होता है. यह एक ऐसा डिवाइस होता है जो कि नेटवर्क में Weak Signal को Boost करता है.

नेटवर्क में जब सिग्नल कुछ दूरी तय कर लेता है तो एक समय बाद सिग्नल की तीव्रता कम होने लगती है और सिग्नल weak होने लगता है. यहाँ पर नेटवर्क में एक रिपीटर का इस्तेमाल किया जाता है जो सिग्नल को regenerate करता है और weak हो रहे सिग्नल की तीव्रता को High करता है.

रिपीटर OSI मॉडल के Physical Layer पर काम करते हैं. रिपीटर का इस्तेमाल मुख्यतः दो LAN कनेक्शन को जोड़ने के लिए किया जाता है. 

5 – ब्रिज (Bridge)

नेटवर्क ब्रिज एक ऐसा नेटवर्किंग डिवाइस होता है जिसका इस्तेमाल दो सामान प्रोटोकॉल वाले नेटवर्क को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है.

जब एक नेटवर्क से दुसरे नेटवर्क के कंप्यूटर डाटा भेजा जाता है तो जैसे ही डाटा ब्रिज के पास पहुँचता है तो सबसे पहले ब्रिज डाटा का निरिक्षण करता है और MAC एड्रेस तथा Port Number का इस्तेमाल करके डाटा को सही Destination path में forward कर देता है. ब्रिज के पास एक table होती है जिसमें सभी नेटवर्क के डिवाइस के MAC एड्रेस तथा Port नंबर होते हैं.

एक ब्रिज OSI मॉडल के डाटा लिंक लेयर के दूसरी लेयर पर काम करते हैं. ब्रिज का इस्तेमाल अधिकतर दो सामान प्रोटोकॉल वाले LAN को जोड़ने के लिए किया जाता है.

6 – मॉडेम (Modem)

मॉडेम एक ऐसा नेटवर्किंग डिवाइस होता है जो Modulation और Demodulation के द्वारा डाटा को टेलीफोन लाइन से कंप्यूटर नेटवर्क तक पहुंचाता है.

Modem शब्द माड्यूलेटर व डिमाड्यूलेटर को मिलाकर तथा संक्षिप्त करके बना हुआ है. डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिग्नल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया Modulation कहलाती है तथा एनालॉग सिग्नल को Digital Signal में परिवर्तित करने की प्रक्रिया Demodulation कहलाती है. मॉडेम में यह दोनों प्रोसेस होती है.

कंप्यूटर नेटवर्क से जब डाटा टेलीफोन लाइन के द्वारा भेजा जाता है तो कंप्यूटर नेटवर्क पर एक मॉडेम लगा होता है जो डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिग्नल में Convert करके डाटा को टेलीफोन लाइन में भेजता है.

Destination कंप्यूटर में भी एक मॉडेम लगा होता है जो एनालॉग सिग्नल को फिर से डिजिटल सिग्नल को Convert करता है, इस प्रकार से मॉडेम के द्वारा डाटा का ट्रांसमिशन होता है.

7 – गेटवे (Gateway)

गेटवे एक ऐसा नेटवर्क डिवाइस होता है जो दो विपरीत प्रोटोकॉल वाले नेटवर्क को आपस में जोड़ता है. गेटवे एक राऊटर, फ़ायरवॉल, सर्वर या अन्य कोई डिवाइस हो सकता है जो ट्रैफिक को नेटवर्क के अन्दर – बाहर जाने में सक्षम बनाता है. गेटवे एक नेटवर्क के लिए entry point का कार्य करता है तो वहीँ दुसरे नेटवर्क  exit point का. गेटवे OSI मॉडल के किसी भी लेयर पर काम कर सकते हैं.

8 – ब्राउटर (Brouter)

ब्राउटर एक ऐसा नेटवर्क डिवाइस होता है जो की ब्रिज और राऊटर दोनों की तरह कार्य कर सकता है. इसी आधार पर इसका नाम Brouter रखा गया है. Brouter का इस्तेमाल नेटवर्क में बहुत अधिक नहीं होता है.

9  – केबल (Cable)

केबल के द्वारा ही एक बड़े नेटवर्क को बनाना संभव हो पाता है. इसलिए नेटवर्क में केबल की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है. बिना केबल के नेटवर्क या इंटरनेट बनाना असंभव है. नेटवर्क में मुख्य रूप से Coaxial  केबल, फाइबर ऑप्टिक केबल और Twisted Pair केबल का इस्तेमाल किया जाता है.

नेटवर्किंग डिवाइस का उपयोग (Uses of Networking Device in Hindi)

अगर नेटवर्किंग डिवाइस के उपयोग के बात करें तो इनके अनेक सारे उपयोग होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख उपयोगों के बारे में हमने आपको नीचे बताया है.

  • किसी भी दो या दो से अधिक डिवाइस को एक नेटवर्क में जोड़ने के लिए नेटवर्किंग डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है.
  • नेटवर्किंग डिवाइस की मदद से कंप्यूटर आपस में कनेक्ट होकर डाटा का आदान – प्रदान करते हैं.
  • बिना नेटवर्किंग डिवाइस का इंटरनेट जैसे नेटवर्क को बनाना असंभव था.
  • ऑफिस या घरों में अपने नेटवर्क को प्राइवेट रखने के लिए भी नेटवर्किंग डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है.
  • नेटवर्क में सुरक्षित रूप से डाटा ट्रान्सफर करना नेटवर्किंग डिवाइस के द्वारा संभव हो पाता है.
  • नेटवर्क का विस्तार करने में भी नेटवर्क डिवाइस का इस्तेमाल होता है.  

आपने सीखा: नेटवर्क/नेटवर्किंग डिवाइस क्या है हिंदी में

इस लेख के माध्यम से हमने आपको Networking Device Kya Hai In Hindi तथा इसके प्रकारों के बारे में पुरे विवरण के साथ जानकारी दी है और साथ में ही आपको नेटवर्किंग डिवाइस के उपयोगों के बारे में भी बताया है.

दो डिवाइस को आपस में Communicate करवाने के लिए नेटवर्किंग डिवाइस का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है, बिना नेटवर्किंग डिवाइस के हम दो कंप्यूटर को आपस में नहीं जोड़ सकते और न ही किसी प्रकार के डाटा का आदान – प्रदान कर सकते.

उम्मीद करते हैं आपको यह लेख पसंद आया होगा. अंत में आपसे निवेदन है कि इस लेख को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी शेयर जरुर करें.

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