प्रिंटर क्या है और इसके प्रकार और उपयोग (Printer in Hindi)

Printer Kya Hai In Hindi: दोस्तों आप लोगों ने कभी न कभी अपने किसी डॉक्यूमेंट का प्रिंट आउट निकाला होगा. आप में से लगभग सभी लोगों ने कंप्यूटर प्रिंटर देखा होगा और इसका इस्तेमाल किया होगा.

सभी लोग कंप्यूटर में मौजूद कोई भी डॉक्यूमेंट की हार्ड कॉपी निकलने के लिए प्रिंटर का इस्तेमाल करते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि वास्तव में प्रिंटर क्या होता है, प्रिंटर के कितने प्रकार होते है, प्रिंटर कैसे काम करता है, प्रिंटर के उपयोग, प्रिंटर के फायदे और नुकसान क्या हैं.

इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ें, इस लेख के माध्यम से हमने आपके साथ Printer क्या है की पूरी जानकारी हिंदी भाषा के आसान शब्दों के साथ साझा की है. इस लेख को पूरा अंत तक पढने के बाद आप प्रिंटर के बारे में बहुत कुछ पता होगा.

तो आइये आपका ज्यादा समय न लेते हुए शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं प्रिंटर किसे कहते हैं. 

प्रिंटर क्या है और कितने प्रकार के होते है (What is Printer in Hindi)

प्रिंटर क्या है (What is Printer in Hindi)

प्रिंटर कंप्यूटर की एक आउटपुट डिवाइस है जो कंप्यूटर स्क्रीन में दिखने वाली सॉफ्ट कॉपी को एक Blank Paper पर हार्ड कॉपी में बदलता है. प्रिंटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है, 

प्रिंटर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कंप्यूटर के साथ किया जाता है. मॉनिटर, कीबोर्ड और माउस के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला डिवाइस प्रिंटर ही है.

ऑफिस, घरों, स्कूल आदि में प्रिंटर का इस्तेमाल अलग – अलग कामों को पूरा करने के लिए किया जाता है. पहले प्रिंटर केवल ब्लैक एंड व्हाइट ही प्रिंट करते थे लेकिन आधुनिक प्रिंटर कलर प्रिंट भी निकलते हैं.

वैसे आमतौर पर प्रिंटर को डेटा केबल के द्वारा कंप्यूटर से कनेक्ट करते हैं लेकिन टेक्नोलॉजी के बढ़ने के साथ ऐसे प्रिंटर भी मार्किट में मौजूद हैं जिनको वाई फाई, गूगल क्लाउड या ब्लूटूथ के द्वारा कंप्यूटर से कनेक्ट करके डॉक्यूमेंट का प्रिंट आउट निकाल सकते हैं.

प्रिंटर का इतिहास (History of Printer in Hindi)

Charles Babbege ने 1800 के दशक में Difference Engine के उपयोग के लिए  पहला मैकनिकल प्रिंटर डिजाईन किया था.

इसके बाद 1953 में Remington – Rand ने पहला हाई स्पीड प्रिंटर विकसित किया था. जिसे UNIVAC कंप्यूटर के साथ उपयोग करने के लिए बनाया गया था.

1957 में IBM ने पहला डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर विकसित किया.

1968 में जापान की कंपनी Espon ने पहला इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटर बनाया था.

धीरे – धीरे तकनीकी के बढ़ने के साथ प्रिंटर में भी विकास हुआ और 1984 में Hewlett Packerd ने पहला लेजर प्रिंटर बनाया और इसी वर्ष Hewlett Packerd ने पहला थर्मल इंजेक्ट प्रिंटर का भी निर्माण किया.

इन्टरनेट का उपयोग बढ़ने के साथ – साथ प्रिंटर में और भी विकास हुआ. 2009 में 3D प्रिंटर के आ जाने से 3D ऑब्जेक्ट को प्रिंट करना और भी आसान हो गया.

प्रिंटर के प्रकार (Type of Printer in Hindi)

प्रिंटर को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है –

Impact Printer और Non Impact Printer

Impact Printer (इम्पैक्ट प्रिंटर)

इम्पैक्ट प्रिंटर ऐसे प्रिंटर होते हैं जो अक्षरों को कागज पर छापने के लिए रिबन भरी स्याही को कागज पर मारते हैं. ये प्रिंटर सामान्य प्रिंटर की अपेक्षा में अधिक आवाज करते हैं.

Impact Printer
Impact Printer

इस प्रकार के प्रिंटर में धातु का बना एक हैड होता है जिसे स्याही भरी रिबन पर टकराया जाता है इसके बाद रिबन कागज पर टकराता है जिसके परिणामस्वरूप अक्षर कागज़ पर छप जाता है. इस प्रकार के प्रिंटर की Quality Low होती है. 

Impact Printer के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं –

  • Dot Matrix Printer
  • Daisy Wheel Printer
  • Line Printer
  • Chain Printer
  • Drum Printer

1 – Dot Matrix Printer (डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर)

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर ऐसे प्रिंटर होते हैं जो प्रत्येक अक्षर को डॉट के रूप में छापते हैं. इस प्रकार के प्रिंटर के हैड पर बहुत सारे पिनों का एक Matrix लगा होता है और जब रिबन कागज पर Touch होता है तो एक डॉट छपता है और इसी प्रकार अनेक डॉट मिलकर एक अक्षर बनाते हैं.

Dot Matrix Printer

आज के समय में डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर का इस्तेमाल कम देखने को मिलता है क्योकिं इनकी Print Quality Low होती है और कागज प्रिंट करते समय यह बहुत तेजी से आवाज करते हैं.

2 – Daisy Wheel Printer (डेज़ी व्हील प्रिंटर)

Daisy Wheel Printer में एक धातु की Wheel होती है जिसके कोनों पर अक्षरों के फॉण्ट उभरे रहते हैं. कागज पर प्रिंट करने के लिए इस प्रकार के प्रिंटर में Wheel Rotate होती है और एक hammer की मदद से स्याही भरी रिबन को Wheel के कोनों पर लगे अक्षरों से टकराया जाता है जिसके फलस्वरूप अक्षर कागज पर छप जाता है.

Daisy Wheel Printer

इस प्रकार के प्रिंटर से केवल टेक्स्ट की प्रिंट किया जा सकता है इमेज नहीं. आज के समय में Daisy Wheel Printer का इस्तेमाल बहुत कम होता है.

3 – Line Printer (लाइन प्रिंटर)

Line Printer एक समय में एक अक्षर के बजाय पूरी लाइन को प्रिंट कर देते हैं इसलिए इन्हें लाइन प्रिंटर कहा जाता है. इसकी मदद से किसी डॉक्यूमेंट को तेजी से प्रिंट किया जा सकता है.

Line Printer

Line Printer भी अन्य impact printer की भांति होते हैं जिनमें Hammer लगा होता है जो स्याही भरी रिबन से टकराता है, पर इन प्रिंटर में यह अंतर होता है कि इसमें hammer की एक सीरिज होती है, जिससे एक ही समय में एक पूरी लाइन को प्रिंट किया जा सकता है.

इन प्रिंटर का इस्तेमाल अभी भी किया जाता है क्योंकि Line Printer बहुत तेजी के साथ डॉक्यूमेंट को प्रिंट करते हैं.

4 – Chain Printer (चैन प्रिंटर)

Chain Printer में एक चैन होती है जो तेजी से घुमती है, इस चैन के प्रत्येक कड़ी पर एक अक्षर का फॉण्ट होता है और प्रत्येक Print Position पर Hammer लगा होता है. Hammer की मदद से कागज को पहले स्याही भरी रिबन पर टकराया जाता है और फिर अक्षरों पर. जिससे अक्षर कागज़ पर छप जाते हैं. फिर इसी प्रकार से कागज़ अगली लाइन प्रिंट करने के लिए आगे बढ़ता है.

Chain Printer
Chain Printer

5 – Drum Printer (ड्रम प्रिंटर)

Drum Printer में एक बेलनाकार ड्रम होती है जिसकी सतह पर सभी अक्षर प्रिंट रहते हैं, और इसके पीछे hammer की एक सीरिज लगी रहती है.

Drum Printer
Drum Printer

Printing के लिए पेपर को ड्रम के सामने रखा जाता है और जैसे ही ड्रम घूमता है hammer स्याही भरी रिबन के साथ उस अक्षर पर टकराता है जिसे कागज़ पर प्रिंट करना होता है और इस प्रकार से अक्षर कागज पर प्रिंट हो जाता है.

Non Impact Printer (नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर)

Non impact printer कागज पर अक्षरों को छापने के लिए स्याही भरी रिबन को कागज पर नहीं मरते हैं, अर्थात इनमें Print Head और कागज़ के बीच कोई संपर्क नहीं होता है इसलिए इन्हें Non impact printer कहते हैं.

Non Impact Printer के उदाहरण हैं –

  • Laser Printer
  • Inkjet Printer
  • Photo Printer
  • Thermal Printer

1 – Laser Printer (लेजर प्रिंटर)

लेजर प्रिंटर कंप्यूटर के साथ सबसे अधिक उपयोग किये जाने वाले प्रिंटर हैं जो तेजी के साथ उच्च गुणवता वाले अक्षरों और ग्राफ़िक को पेपर पर प्रिंट कर सकते हैं. इस प्रकार के प्रिंटर में कार्टरेज का इस्तेमाल किया जाता है जिसके अन्दर टोनर (सुखी स्याही) को भरा जाता है.

जब लेजर प्रिंटर के द्वारा किसी भी डॉक्यूमेंट को प्रिंट किया जाता है तो Leaser Beam के द्वारा डॉक्यूमेंट में मौजूद अक्षर और इमेज  को एक विशेष प्रकार की कोटेड ड्रम में draw किया जाता है. इस कोटेड ड्रम में टोनर चिपक जाता है.

जब ड्रम रोल करता है तो टोनर अक्षरों और चित्रों को प्रिंट करने के लिए पेपर पर ट्रान्सफर करता है. और इस प्रकार डॉक्यूमेंट का प्रिंट पेपर पर आ जाता है.

2 – Inkjet Printer (इंकजेट प्रिंटर)

इंकजेट प्रिंटर ऐसे प्रिंटर होते हैं जो कागज पर स्याही छिड़क कर किसी भी डॉक्यूमेंट में मौजूद अक्षरों या चित्रों की हार्ड कॉपी तैयार करते हैं.

इस प्रकार के प्रिंटर में एक कार्टरेज का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें स्याही भरी रहती है. इसमें बहुत सारे छोटे – छोटे नॉज़ल होते हैं जिसके द्वारा स्याही को छिड़का जाता है. ये प्रिंटर सस्ते होते हैं और अधिकतर कंप्यूटर स्टोर पर आपको इंकजेट प्रिंटर देखने को मिल जायेंगे.

3 – Photo Printer (फोटो प्रिंटर)

फोटो प्रिंटर रंगीन प्रिंटर होते हैं जो फोटो को फोटो पेपर पर छापते हैं. इस प्रकार के प्रिंटर में बड़ी संख्या में नॉज़ल होते हैं जो उच्च गुणवता के साथ इमेज को फोटो पेपर पर प्रिंट करते हैं.

4 – Thermal Printer (थर्मल प्रिंटर)

Thermal Printer कागज पर इमेज को बनाने के लिए गर्मी का इस्तेमाल करते हैं. थर्मल प्रिंटर डॉक्यूमेंट को प्रिंट करने के लिए टोनर का उपयोग नहीं करते हैं.

इस प्रकार के प्रिंटर द्वारा प्रिंट किये गए पेपर पर प्रिंट ज्यादा समय तक नहीं रहता है. इसका अधिकतर इस्तेमाल ज्यादातर एयरलाइन, बैंकिंग, मनोरंजन, स्वास्थ्य सेवाओं आदि में किया जाता है.

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प्रिंटर के उपयोग (Uses of Printer in Hindi)

आज के समय में प्रिंटर का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है, प्रिंटर के अलग – अलग क्षेत्रों में निम्न उपयोग होते हैं –

  • स्कूल, कॉलेज में प्रिंटर का उपयोग छात्रों के प्रोजेक्ट और जरुरी डॉक्यूमेंट को प्रिंट करने के लिए किया जाता है.
  • बिज़नस में प्रिंटर का इस्तेमाल बिज़नस कार्ड और डॉक्यूमेंट को प्रिंट करने के लिए किया जाता है.
  • प्रिंटर का उपयोग महत्वपूर्ण कागजात की कॉपी को प्रिंट करने के लिए किया जाता है.
  • प्रिंटर के इस्तेमाल से कॉमिक्स, किताबें आदि भी प्रिंट की जा सकती है.
  • किसी भी प्रकार के इमेज को भी प्रिंटर से प्रिंट किया जा सकता है.

प्रिंटर के फायदे (Advantage of Printer in Hindi)

प्रिंटर के निम्न फायदे हैं –

  • प्रिंट किये गए समग्री का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सुविधाजनक है, आप प्रिंट किये गए सामग्री पर कुछ मार्क कर सकते हैं कुछ चीज नोट कर सकते हैं.
  • अगर किसी कारणवश प्रिंट की गयी सामग्री खो जाती है तो आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है क्योकि Original Copy आपके पास पहले से ही उपलब्ध रहती है.
  • प्रिंट की गयी चीजें बहुत सारे लोगों को पढने में आसान लगती है. 

प्रिंटर के नुकसान (Disadvantage of Printer in Hindi)

जहाँ एक ओर प्रिंटर बहुत सुविधाजनक हैं तो वहीँ दूसरी ओर इसके कुछ नुकसान भी हैं जैसे कि –

  • आप लोग जानते होंगे कागज पेड़ों से ही बनते हैं, किसी भी कार्यालय में पर्याप्त कागजों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे पेड़ों की कटाई अधिक होती है. कई बार यूजर एक ही डॉक्यूमेंट की बहुत सारी कॉपी प्रिंट कर लेते हैं जो कि पूरी तरह से कागजों का नुकसान है.
  • प्रिंटर बिजली की अधिक खपत करते हैं.
  • टोनर और स्याही ऐसे रसायन से बने होते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पंहुचा सकते हैं.
  • प्रिंटर महंगे होते हैं.

FAQ For Printer in Hindi

प्रिंटर कौन सा डिवाइस है?

प्रिंटर कंप्यूटर की आउटपुट डिवाइस है. जो कंप्यूटर में सॉफ्ट कॉपी को हार्ड कॉपी में बदलता है.

प्रिंट करने की शॉर्टकट की क्या है?

कंप्यूटर स्क्रीन में किसी भी डॉक्यूमेंट को प्रिंट करने की शॉर्टकट की Ctrl+P है.

प्रिंटर कितने प्रकार के होते हैं?

प्रिंटर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं Impact Printer और Non Impact Printer.

प्रिंटर क्या काम करता है?

प्रिंटर कंप्यूटर में मौजूद किसी भी डॉक्यूमेंट की सॉफ्ट कॉपी को खाली पेपर पर हार्ड कॉपी में परिवर्तित करता है.

निष्कर्ष – प्रिंटर क्या है प्रकार सहित हिंदी में  

तो दोस्तों इस लेख में इतना ही, उम्मीद करते हैं आपको हमारे द्वारा लिखा गया लेख Printer Kya Hai जरुर पसंद आया होगा और इस लेख के द्वारा आपको प्रिंटर की अच्छी जानकारी मिली होगी. इस लेख को अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें और इसी प्रकार के नॉलेज से भरे लेख को पढने के लिए हमारे ब्लॉग पर आते रहिये.

1 thought on “प्रिंटर क्या है और इसके प्रकार और उपयोग (Printer in Hindi)”

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